वक़्त तो दामने दरिया की लहर है समझो
ज़िन्दगी खाक़ से बढ़कर है कुछ नहीं समझो
यह गुज़र जांयें तो पलटेंगे कभी, ना मुमकिन
हाथ में जो भी हैं लम्हात वही सच समझो .
कोशिशों का कोइ हशर न हुवा,
वक़्त का कुछ भी तो असर न हुवा
रही हमेशा जवां जो भी मुझे चोट लगी
मुझे जो दर्द मिला वोह कभी भी कम न हुवा .
ज़िन्दगी खाक़ से बढ़कर है कुछ नहीं समझो
यह गुज़र जांयें तो पलटेंगे कभी, ना मुमकिन
हाथ में जो भी हैं लम्हात वही सच समझो .
कोशिशों का कोइ हशर न हुवा,
वक़्त का कुछ भी तो असर न हुवा
रही हमेशा जवां जो भी मुझे चोट लगी
मुझे जो दर्द मिला वोह कभी भी कम न हुवा .
2 comments:
VERY TRUE, SIR.
Sir, this is the truth.
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