Waqt

वक़्त तो दामने दरिया की लहर है समझो 
ज़िन्दगी खाक़ से बढ़कर है कुछ नहीं समझो 
यह गुज़र जांयें तो पलटेंगे कभी, ना मुमकिन 
हाथ में जो भी हैं लम्हात वही सच समझो .

कोशिशों का कोइ हशर न हुवा,
वक़्त का कुछ भी तो असर न हुवा 
रही हमेशा जवां  जो भी मुझे चोट लगी 
मुझे जो दर्द मिला वोह कभी भी कम न हुवा .

2 comments:

V.K.MALHOTRA said...

VERY TRUE, SIR.

myso said...

Sir, this is the truth.

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